स्वर शास्त्र ज्ञान

Let's know about the Secret mysterious knowledge -





इस लेख में उपस्थित जानकारी स्वरुदय विज्ञान हैं
 जिसके उपयोग और अभ्यास से हम apne
 जीवन को सरल सुखी बना सकते हैं यह अत्यंत
 गुप्त हैं इसे हर किसी नहीं देना चाहिए.
 इंसान जबसे इस धरती पर आया तब से ही वह
 ब्रमांड कि
 उत्पति और इसको किसने बनाया या कैसे बना
 इन सवालों के जवाब तलासाने में लगा हैं परन्तु
 आज भी वह इस रहस्य
को पूरी तरह नहीं जान पाया हैं लेकिन हमारे संतो
 ने इस रहस्य को काफ़ी हद तक जान लिया हुए
 इसे हमरे बिच पहुंचने कि कोसिस कि उनके ग्रंथो
 के माध्यम से.
 तो आईये जानते हैं कुछ बातों को.
इस लेख में हम कुछ मुख्य इम्पोर्टेन्ट जीवन में
 उपयोगी बातों को सॉर्ट में जानेगे।
हम जानते हैं कि इंसान का शरीर पांच तत्वों से
 बना हैं -पृथ्वी जल अग्नि वायु और आकाश अगर
 इन पांचो में से किसी भी तत्वाधान कि कमी होंगी
 तो हमारे शरीर पर भी इसका प्रभाव होता है।
तत्वों के प्रकार -
1-पृथ्वी2-जल 3-अग्नि 4-वायु 5-आकाश।।
 अब बात करतें है हमारे शरीर में मौजूद नाड़ियों कि.
 शरीर में कुल 10 नाड़िया होती है. इन
 दसो में 3 मुख्य होतें हैं।
 1- इड़ा नाड़ी
 2-पिंगला
 3-सुखमना या सुसुपना
  इड़ा नाड़ी को चंद्र स्वर और पिंगला को सूर्य स्वर कहते हैं
 इन नाड़ियों को नाक के दोनों चिद्रो से पहचानते हैं अगर
 बाई और से स्वर आ रही हैं तो इड़ा नाड़ी अगर दायी ओर
 से आये तो पिंगला और दोनों से आये तो सुखमना
 समझाना चाहये..
  3-नाड़ियों के चलने पर कौन सा कम कब करें जानते हैं.
  1-इड़ा नाड़ी के द्वारा कम इस नाड़ी में सारे चर अथवा
 सम कार्यों को करें तो सफलता अवाया मिलती हैं.
2-पिंगला इसमे सारे बिषम कार्य करें.
3-सुखमना इसमें कोई कम ना करें केवल भक्ति पूजा
 दयान करें तो आध्यात्मिक ज्ञान में कई गुना ल्लाभा होता है।
तत्वों के काम -
पृथवी और जल तत्व में सारे कम सफल होते हैं.
वायु और अग्नि में कठिन कम करने चाहिए.
आकाश तत्वाधान में केवल भगति करनी चाहिए क्योंकि
 यह शून्य लाभ देता है।
सारे तत्व स्वसा में इस प्रकार ढ़ाई ढ़ाई घड़ी वायु अग्नि
 जल पृथ्वी और आकाश कहते रहते हैं इनका क्रम पहले
 आरोही फिर अवरोही क्रम में चलते है।
इन बातों को जनता हैं और इसका अभ्यास करता हैं वह
 जगत में पूजनीय और परम योगी होता हैं उसके सामने
 बड़ा से बड़ा ज्ञान और ज्ञानी तुछ हैं।
इसको जानने मात्रा से ही वह सबको मोहित और सारे कम
 बिना श्रम के आसानी पा जाता है।
स्वसा में निरंतर एक ध्वनि होती रहती हैं जो एक अजपा
 जाप हैं स्वास अंदर लेने पर वोहं तथा छोड़ने पर सोऽहं कि
 ध्वनि होती हैं इन दो पड़ो का जो निरंतर अपनी स्वास पर
 जाप करता हैं वह ब्रमांड के रहस्ययो जान लेता हैं तथा
 कोई भी भविस्य कि बाते बता देता है।
तत्वों के बारे में गहनता से जानने के लिए आपको योग
 और परम गुरु कि आवश्यकता होती हैं क्योंकि गुरु के
 बिना ज्ञान नहीं हो सकता ऐसा संतो ने कहा है।

इस लेख में सॉर्ट में जानकारी दी गयी हैं बाकी जानकारी
 अगले लेख में.
जानकारी अच्छी लगी तो शेयर करें और गलतियों को छ मा करे।
                               धन्यवाद -


Knowledge Bunny

I am a student and i am trying to learnig a bloging skills and other basic knowledge..

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